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दीपावली की कहानियाँ

दिवाली क्यों मनायी जाती है?

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दीपावली संभवतः भारत का सबसे भव्य त्योहार है| इस दीपोत्सव को कार्तिक मास में पाँच दिनों तक मनाया जाता है| हिन्दु, जैन और सिख – सभी के लिए, इस पर्व का विशेष महत्व है। ऐतिहासिक एवं साहित्यिक अध्ययन से यह लगभग सिद्ध हो चुका है की दीपोत्सव, भारत की इस पवित्र भूमि पर, किसी न किसी रूप में कम से कम, ढाई हज़ार वर्षों से मनाया जा रहा है|

दीपावली के दीपक, भारत के प्रवासियों एवं विभिन्न मतों के अनुयायियों के साथ-साथ, विश्व  के अनेक देशों को भी प्रकाशित करते हैं।  इस लेख में, हम दीपावली पर ऐतिहासिक दृष्टि न डाल कर, इस पर्व से जुड़ी कुछ कथाओं पर चर्चा करेंगे| यह कहानियाँ भारतीय संस्कृति और परंपरा की बहुरंगी विविधता का एक अनुपम प्रतीक हैं।

श्रीराम के पुनरागमन एवं राज्याभिषेक के हर्षोल्लास का पर्व

ऐसा माना जाता है कि भगवान राम,  सीता और लक्ष्मण लंकापति रावण का वध करने के पश्चात, वनवास पूर्ण कर, जब अयोध्या लौटे  और श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ, तब  अयोध्या के हर्षित निवासियों ने अपने प्रिय राजा का स्वागत असंख्य दीपमालिकाओं के साथ कर, दिवाली मनायी| अयोध्या नगरी स्वर्णिम राम राज्य की स्थापना से जगमगा उठी। हजारों वर्ष पश्चात भी,  धर्म की नवीन व्यवस्था की स्थापना का यह पर्व, दीपावली की रात को मनाया जाता है|

अपने प्रियजनों को संस्कृत के श्लोकों एवं उनके हिन्दी अनुवाद से दीपावली की शुभकामनायें दें

भगवान महावीर के निर्वाण का पावन उत्सव

जैन परंपरा में अंतिम तीर्थंकर – भगवान महावीर को दीपावली के दिन निर्वाण प्राप्त हुआ। उन्होंने बिहार के पावपुरी शहर में अपना मानवीय देह त्याग, जीवन और मृत्यु के निरंतर चक्र से मोक्ष प्राप्त किया। जैन आस्था के अनुसार, तीर्थंकरों एवं सिद्ध मानवों के जीव, मोक्ष के पश्चात, सिद्धलोक में विद्यमान होते हैं। भगवान महावीर ने विश्व को एवं अपने अनुयायियों को वास्तविक प्रकाश से अवगत कराया| जब यह प्रकाश लुप्त हो गया, तब पृथ्वी पर मानो अंधकार छा गया|  इस अंधकार को दूर करने हेतु दीप प्रज्वलित किए गये।

दीपावली न केवल भारत के महानतम प्रचारक, महावीर स्वामी  के मानवीय जीवन से मोक्ष प्राप्त होने का उत्सव है बल्कि यह दीपोत्सव हमें सच्चे ज्ञान की खोज करने और स्वयं अपनी मुक्ति की दिशा में निरन्तर प्रयासरत रहने के लिए प्रेरित करता है।

सत्यभामा एवं कृष्ण के द्वारा नरकासुर के वध का जश्न

बात उस समय की है जब प्रागज्योतिषपुर (आधुनिक दिन में भारत का असम राज्य) पर शक्तिशाली एवं दुष्ट राजा नरकासुर का शासन था। वह धरती माता (भूदेवी) के पुत्र थे परंतु काम वश उन्होंने सोलह हज़ार निर्दोष राजकुमारियों का अपहरण कर, उन्हें बंदी बना लिया  था। उनके इस  अधार्मिक आचरण से कुपित हो, सत्यभामा जो कि स्वयं भूदेवी की अवतार थीं और उनके पति भगवान कृष्ण ने नरकासुर को घोर संग्राम में परास्त किया और उन निर्दोष राजकुमारियों को मुक्त किया। नरकासुर का अन्त पर हुआ| इसीलिए छोटी दीपावली का पर्व तामसिक तत्वों पर सात्विक तत्वों की विजय का उत्सव है।

Killing of Narkasura by Krishna and Satyabhama

भगवान वामन द्वारा राजा बलि को मोक्ष प्रदान करने की पवित्र बेला

राजा बलि और विष्णु के वामन अवतार की कथा सर्वविदित है। ऐसा माना जाता है कि दीपावली की पावन बेला पर ही श्रीविष्णु ने वामन के रूप में राजा बलि को मोक्ष प्रदान किया था। जब वामन अवतार में, विष्णु बलि के पास पहुंचे और उनसे भिक्षा मांगी, तब बलि ने उन्हें, उनके द्वारा तीन कदमों में नापी गयी धरती देने का प्रण लिया| त्रिविक्रम वामन ने अपने पहले दो पदों में स्वर्ग और पृथ्वी को माप लिया| बुद्धिमान बलि यह समझ गए की उनके मोक्ष का समय आ गया था और उन्होंने वामन से स्वयं के मस्तक पर तीसरे पद के रूप में अपने चरण कमल रखने का अनुरोध किया। विष्णु ने उनकी इच्छा पूर्ण करी और बलि को उद्धार प्राप्त हुआ| दीपावली के दीपों का प्रकाश, वास्तविक ज्ञान के लिए हमारी शाश्वत खोज को प्रतीक है| दीवाली के पर्व पर, मनुष्य राजा  बलि के समान ही, ज्ञान एवं अमरत्व के लिए प्रार्थना करते हैं।

Bali and Vamana

श्रीकृष्ण के गोवर्धन उठाने का अविस्मरणीय पर्व

दिवाली का अगला दिवस,  भारतीय मान्यता के अनुसार, वर्ष के सबसे शुभ दिनों में से एक है। इस दिन से जुड़ी एक कहानी, श्री कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की है। बात उस समय की है जब देवराज इन्द्र को अहंकार हो गया और उन्होंने वृंदावन के निवासियों को निरंतर तूफानों एवं वर्षा द्वारा दंडित करने का  फैसला किया। भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर, समस्त वृन्दावन की इन्द्र के कोप से रक्षा की। कृष्ण गिरिधर के नाम से प्रसिद्ध हुए एवं  इन्द्र का अहंकार चूर-चूर हो गया।

दीपावली का पर्व हमें याद दिलाता है कि जब देवताओं का अहंकार ही टूट जाता है, तो  इंसान का अहंकार तो केवल अज्ञान रूपी मूर्खता ही है|

 Why is Diwali Celebrated? Read and watch the video in English

Krishna lifting the Govardhan

बंदी छोड़ दिवस – गुरु हरगोविंद सिंहजी की रिहाई का उल्लास

सिख धर्म के छठवें गुरु हरगोविंद सिंहजी को मुगल सम्राट जहांगीर ने ग्वालियर के किले में कैद कर लिया था। जब आखिरकार, जहांगीर ने उनको और ५२ अन्य राजाओं को आज़ाद  किया, तब गुरु हरगोविंद सिंहजी, दीपावली के शुभ दिन पर ही  अमृतसर पहुंचे। अमृतसर की दीपावली में मानो चार चाँद लग गये| नगरवासियों ने असंख्य दीपों के प्रकाश से अपने गुरु का स्वागत किया और उसी दिन से, सिख दीपावली के पावन पर्व को बंदी छोड़ दिवस एवं सत्य की विजय के दिवस के रूप में भी मनाते हैं|

Golden Temple Amritsar

माँ काली के उपासना की कालरात्रि

दीपावली की काल-रात्रि को भयानक परंतु अति सौम्य , माँ काली की पूजा बड़े धूम-धाम से होती है|माँ काली तामसिक शक्तियों का विनाश कर, सात्विक शक्तियों को विद्यमान करती है। उनकी सबसे प्रसिद्ध कथाओं में, असुर रक्तबीज के विनाश की कथा, दीपावली में विशेष रूप से सुनायी जाती है । रक्तबीज एक भयंकर दानव था जिसे आसानी से नष्ट नहीं किया जा सकता था। जब भी उसके शरीर से खून की एक बूंद धरती पर गिरती थी,  तभी उसके जैसे एक रक्तबीज का जन्म हो जाता था। भयंकर संग्राम में, माँ काली ने अपनी जीभ को फैला कर रक्तबीज को चोट पहुँचाना शुरू कर दिया। उसके शरीर से गिरने वाली रक्त की प्रत्येक बूंद, उनकी जीभ पर गिरती गई और दानवों का जन्म उनके  मुँह में होता गया। माँ काली ने सभी दानवों का भक्षण कर लिया| जब रक्तबीज के शरीर में खून की एक बूंद भी नहीं बची, तब वह आखिरकार पृथ्वी पर गिर पड़ा और उसका अन्त हो गया। हमारा झूठा अहम भी  रक्तबीज के समान है। यदि हमें सत्य रूपी प्रकाश एवं ज्ञान को प्राप्त  करना है, तो हमें अंधकार रूपी अहम को पार करना पड़ेगा है।

दीपावली की अधिष्ठात्री माता महालक्ष्मी का घर-घर में स्वागत का पावन उत्सव

भारतीय परंपरा के अनुसार धन, श्री  एवं समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी, कमल पर आसीन – कमलनयनी, हिरण्यमयी माता महालक्ष्मी हैं| वह सदैव ही समस्त संसार पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखती हैं तथा देवताओं के लिए भी आराध्य हैं| यह कहना गलत नहीं होगा की भक्तों की प्रिय, माता महालक्ष्मी ही दीपावली के पर्व की भी अधिष्ठात्री देवी  हैं | मान्यता है की दीपावली की रात को, महालक्ष्मी अपने भक्तों के घरों पर जाकर उनकी समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण करती हैं । भौतिक स्तर पर तो शायद मानव चल एवं अचल संपत्ति और धन की अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु माता महालक्ष्मी की  आराधना करते हैं| परन्तु यदि हम आध्यात्मिक स्तर पर विचार करें, तो हम इस निष्कर्ष पर पहुंचेंगे की वास्तविक धन तो  सत्य, ज्ञान एवं  मोक्ष को प्राप्त करना ही है। अब यह हम पर निर्भर है की किस लक्ष्मी के लिए हम श्री की उपासना करते हैं ।

या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः||

Diwali Greetings Lakshmi Diya

दीपावली की कालातीत कथाएँ और परंपरायें एवं असंख्य दीपों की झिलमिलाती, जगमगाती रोशनी वास्तव में असत्य पर सत्य की, अंधकार पर प्रकाश की,  अज्ञान पर ज्ञान की,  अधर्म पर धर्म की और निराशा पर आशा की विजय का अद्वितीय प्रतीक हैं|

Diya - शुभं करोति

शुभ दीपावली।

संपादकीय  टिप्पणी

यह लेख और संलग्न वीडियो दीपावली की कहानियों एवं परंपराओं की एक संपूर्ण सूची नहीं प्रस्तुत करते हैं। इन में दीपावली के पर्व के संबन्ध में व्यापक रूप से ज्ञात, केवल कुछ ही कथाओं का उल्लेख है।  इन आख्यानों के भी कई संस्करण हैं। आख्यानों की यही  विविधता अतीत को वर्तमान से जोड़, भारतीय परंपरा को आगे बढ़ाती है|

Why is Diwali celebrated? What are the stories of Deepawali?

 

Garima Chaudhry Hiranya Citi Tata Topper

Garima Chaudhry

Garima is a corporate leader and the Founder and Editor of Cultural Samvaad. Passionate about understanding India’s ancient 'संस्कृति 'or culture, she believes that using a unique idiom which is native to our land and her ethos, is the key to bringing equitable growth and sustainable change in India.

Deeply interested in Indic Studies, Garima has been a visiting faculty member for over a decade at the Mumbai University and K J Somaiya Institute of Dharma Studies among others. She has taught diploma, graduate and post graduate courses in Development of Religious Thought in India, Hindu Thought and Purakatha, Buddhism and Comparative Mythology among others. She also conducts immersive workshops for various cohorts on appreciating India and her past, her dharmic traditions and her enduring values, stories and symbols.

In her corporate avataar, Garima runs Hiranya Growth Partners LLP, a boutique consulting and content firm based in Mumbai. She is a business leader with over 25 years of experience across Financial Services, Digital Payments and eCommerce, Education and Media at Network18 (Capital18 and Topperlearning), Citibank and TAS (the Tata Group). Garima is an MBA from XLRI, Jamshedpur and an Economics and Statistics Graduate.

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