Cultural Samvaad| Indian Culture and Heritage
On Giving - Taittiriya Upanishad - श्रद्धया देयम्। अश्रद्धयाऽदेयम् ।

भारत में ‘दान करने’ की परंपरा अत्यन्त प्राचीन है। भारतीय संस्कृति में दान विकल्प मात्र नहीं अपितु मानवीय कर्तव्य है। हमारे ऋषियों ने दान की महिमा का गुण गान करने के साथ-साथ दान देने के सिद्धांतों का भी वर्णन किया| तैत्तिरीय उपनिषद  का यह संक्षिप्त उद्धरण मनन एवं अनुसरण करने योग्य है ।

श्रद्धया देयम् ।   अश्रद्धयाऽदेयम् ।  श्रिया देयम् ।  ह्रिया देयम् ।  भिया देयम् ।  संविदा देयम् ।

तैत्तिरीय उपनिषद् ।

श्रद्धा एवं आदरपूर्वक दान करो|  बिना श्रद्धा के दान मत करो। अपनी सम्पत्ति के अनुरूप दान करो। विनम्रता से दान करो| भय से दान करो| सहृदयता से दान करो।

India has an ancient tradition of giving. Giving or philanthropy is not a choice but a duty in our culture. Indian seers not only glorified philanthropy but also spoke about how to give. This short extract from the Taittiriya Upanishad sets down the principles for giving.

śraddhayā deyam | aśraddhayā’deyam | śriyā deyam | hriyā deyam | bhiyā deyam | saṁvidā deyam |

Give with faith and reverence. Do not give without faith. Give as much as you can according to your wealth. Give with modesty. Give with awe. Give with empathy.

Taittiriya Upanishad

       

Explore Our Popular Articles on Indian Culture and Heritage