‘मूल मन्तर’ गुरु ग्रन्थ साहिब जी का प्रथम मंत्र है| प्रथम सिक्ख गुरु श्री गुरु नानक देव जी द्वारा प्रतिपादित यह दिव्य मन्त्र, सिक्ख परम्परा में निराकार परमात्मा की परिकल्पना का सार माना जाता है|
परमात्मा एक हैं, सत्य-स्वरूप हैं और सृष्टि के रचयिता एवं सर्वव्यापक हैं| वे निर्भय, – निर्वैर एवं समय और काल के परे हैं| परमात्मा अजन्मा हैं और स्वयंभू हैं (खुद प्रकट हुए हैं)| उन्हें उनकी कृपा के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है|
जप – परमात्मा सृष्टि के आरम्भ में थे और वह हर युग में विद्यमान रहते हैं| वह सत्य-स्वरूप विद्यमान थे और आज भी विद्यमान हैं| नानक कहते हैं कि वह सर्वत्र विद्यमान रहेंगे|
Cultural Samvaad is a platform to understand, appreciate and discuss the multi-hued fabric of India's rich and plural culture, her vast heritage, her infinite wisdom and her indomitable spirit. For our team, this is a journey of trying to re-discover unique Indian idioms which are the cornerstones of this ancient civilisation and the glorious future that beckons us.
Cultural Samvaad has been founded by Garima Chaudhry. You can reach her at [email protected].
Copyright © 2024. Powered by Hiranya Growth Partners. All Rights Reserved.