भक्त अनादि काल से अपने भगवान कृष्ण को खोज रहे हैं। बहुरूपिया कृष्ण अनेकानेक रूपों में प्रकट होते रहते हैं और फिर भी उनका रूप भक्त की समझ के परे है। टीम कल्चरल संवाद (Cultural Samvaad) ने कृष्ण को उन्ही के कुछ प्रसिद्ध भक्तों के शब्दों में और भगवद्गीता में उनके अपने ही वाक्यों के माध्यम से समझने का प्रयास किया।
क्या कृष्ण वह प्यारे, छोटे, चंचल बालगोपाल हैं, जो वृंदावन में हर घर से मक्खन चुराते थे और आज घरों में लड्डू गोपाल के रूप में निवास करते हैं?
क्या कृष्ण वह शाश्वत प्रेमी हैं, जो राधारानी को और समस्त विश्व को अपनी बांसुरी के मधुर स्वरों से मंत्रमुग्ध करते हैं?
क्या कृष्ण गिरिधर हैं, जो अपने भक्तों की रक्षा करने के लिए हर युग में गोवर्धन पर्वत को उठाते हैं?
क्या कृष्ण एक सखा और सारथी हैं जो अपने भक्तों को मोक्ष का मार्ग दिखलाते हैं?
क्या कृष्ण सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी और सर्वज्ञ ब्रह्म हैं? क्या वही शाश्वत सत्य हैं?
कृष्ण समय और काल से परे हैं| वह निराकार हैं| वह प्रेमी हैं, मित्र हैं और मार्गदर्शक हैं| जो है वह कृष्ण है, जो था वह भी कृष्ण है, जो होगा वह भी कृष्ण है | वह भक्तों का अंतिम आश्रय हैं।
हरे कृष्ण|
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