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गुरु ग्रन्थ साहिब मूल मन्तर

‘मूल मन्तर’ गुरु ग्रन्थ साहिब जी का प्रथम मंत्र है| प्रथम सिक्ख गुरु श्री गुरु नानक देव जी द्वारा प्रतिपादित यह दिव्य मन्त्र,  सिक्ख परम्परा में निराकार परमात्मा की परिकल्पना का सार माना जाता है|

मूल मन्तर (मंत्र)

ੴ (इक ओंकार) सतिनामु करता पुरखु निरभउ निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुर प्रसादि||
जप – आदि सचु जुगादि सचु| है भी सचु नानक होसी भी सचु||

मूल मन्तर (मंत्र)की व्याख्या

परमात्मा एक हैं, सत्य-स्वरूप हैं और सृष्टि के रचयिता एवं सर्वव्यापक हैं|  वे  निर्भय,  – निर्वैर एवं  समय और काल के परे हैं| परमात्मा अजन्मा हैं और स्वयंभू हैं (खुद प्रकट हुए हैं)| उन्हें उनकी कृपा के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है|
जप – परमात्मा सृष्टि के आरम्भ में थे और  वह हर युग में विद्यमान रहते हैं| वह सत्य-स्वरूप विद्यमान थे और आज भी विद्यमान हैं| नानक कहते हैं कि वह सर्वत्र विद्यमान रहेंगे|

You can read the Mool Mantar in English by clicking this link.  
गुरु नानक देव जी

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