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Navratri Day 9 Devi Siddhidatri

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देवी सिद्धिदात्री 

सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि ।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी ॥

कमल पर विराजमान, चार हाथों वाली, अष्ट-सिद्धियाँ देने वाली, माँ सिद्धिदात्री  की उपासना समस्त देव, दानव, मनुष्य, यक्ष, गन्धर्व, आदि करते हैं| आदिशक्ति की परम अनुकंपा से भगवान शिव ने जब समस्त सिद्धियाँ प्राप्त कर लीं, तब देवी  सिद्धिदात्री  उनके बायें भाग से उत्पन्न हुयीं| देवादिदेव शिव अर्धनारीश्वर के नाम से प्रसिद्ध हो गए| माँ दुर्गा की इस नवीं विभूति को नवरात्रि के अन्तिम दिन, माया रूपी संसार को पार कर सच्चिदानंद परब्रह्म को प्राप्त करने हेतु सर्वस्व पूजा जाता है|

ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥

  माँ महिषासुरमर्दिनी की कहानी पढ़ें और संलग्न विडियो देखें|

Devi Siddhidatri

siddhagandharvayakṣādyairasurairamarairapi |

sevyamānā sadā bhūyāt siddhidā siddhidāyinī ||

She is seated on a lotus, has four hands and is worshipped by all living beings. She is Siddhidatri because she bestows the eight siddhis or spiritual powers on all devotees. Maa Adishakti (the primeval deity) endowed Lord Shiva with all siddhis. Devi Siddhidatri emerged from the left side of his body and he assumed the famous form of Ardhanarishwara (half woman and half man). This manifestation of Maa Durga is worshipped on the ninth and last day of Navratri to obtain the power to transcend this material world and achieve the Parabrahma or supreme bliss.

 

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