Cultural Samvaad| Indian Culture and Heritage
वसुधैव कुटुम्बकम्

वसुधैव कुटुम्बकम्

vasudhaiva kuṭumbakam

The bountiful earth is one family.

सम्पूर्ण पृथ्वी एक परिवार है|


Vasudhaiva Kutumbakam appears in a minor Upanishad called the Maha Upanishad and is one of the founding philosophical principles of Indian thought and culture. The suggested meaning of this beautiful aphorism is that the earth does not belong to human beings only. She belongs to the flora and the fauna who live on land and beneath the waters. The entire earth is but one family. It is imperative for human beings to pledge to create conditions for all members of this gigantic family to live and thrive.


वसुधैव कुटुम्बकम्’ –  भारतीय दर्शन एवं संस्कृति के मूलभूत सिद्धांतों में से एक है। महा उपनिषद्  (एक लघु उपनिषद् ) में पाया जाने  इस  अवधारणा के अनुसार, सम्पूर्ण पृथ्वी एक परिवार, एक कुटुंब है। यह धरा केवल मानव जाति की ही नहीं है वरन् इस पृथ्वी पर बसने वाले एवं  जल में रहने  वाले हर जीव, हर पशु, हर पक्षी और हर वनस्पति की है। इस धरती पर संतुलन बनाए रखने हेतु यह आवश्यक है कि मनुष्य यह प्रतिज्ञा करें की वह इस धरा पर हमारे वसुधा रूपी विशाल परिवार के सभी सदस्यों के सौहार्दपूर्ण पनपने की स्थिति पैदा करेंगे।

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