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सिखों के दसवें गुरु और खालसा के संस्थापक, गुरु गोविन्द सिंह जी के 4 वीर पुत्र थे| इन वीर बालकों को चार साहिबज़ादे के नाम से जाना जाता है। माता सुंदरी ने अजीत सिंह को और माता जीतो ने जुझार सिंह, ज़ोरावर सिंह और फतेह सिंह को जन्म दिया था।
सन १७०४ में महान धर्मयुद्ध की वेदी पर गुरुजी के चारों वीर साहिबज़ादे बलिदान हो गये । दोनों बड़े साहिबज़ादे – अजीत सिंह और जुझार सिंह, मुगलों के खिलाफ चमकौर के युद्ध में बहादुरी से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए| छोटे साहिबज़ादे – ज़ोरावर सिंह और फ़तेह सिंह उस समय केवल ९ और ७ वर्ष के थे| उन्हें सरहिंद के नवाब ने बन्दी बना लिया और क्रूरता पूर्वक उन बालकों की नृशंस बलि दे दी। उनकी दादी माता गुजरीजी , यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकीं और उनका निधन हो गया।
इन चार युवा साहिबज़ादों का सर्वोच्च बलिदान इतिहास में अद्वितीय है और अनन्त काल तक आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। भारत के इन अमर बालकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए हर वर्ष, २६ दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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