Cultural Samvaad| Indian Culture and Heritage

इस दीपावली, स्वदेशी ख़रीदें

Join Cultural Samvaad’s WhatsApp Community

दिवाली  भारतवर्ष के मुख्य त्योहारों में से एक है| हिन्दू, जैन, सिख, आदि कई समुदायों के लोग इस पर्व को श्रद्धा एवं धूम-धाम से मनाते हैं| विगत कुछ वर्षों से दिवाली धीरे-धीरे  ख़रीदारी करने  के भी एक बड़े उत्सव का रूप लेती जा रही है| इस लेख में हम उपभोक्तावाद पर चर्चा नहीं करना चाहते वरन् आपसे बस इतना निवेदन करना चाहते हैं की इस दीपावली, अपने पड़ोस के कुम्हारों, शिल्पकारों और विक्रेताओं से ख़रीदारी कर, अनेकानेक व्यक्तियों के जीवन में भी  प्रकाश फ़ैला, उनके घरों में भी लक्ष्मीजी के आगमन में अपना सहयोग दें |

दीपावली का त्योहार क्यों मनाया जाता है?

दीपावली में लोकल या स्वदेशी क्यों?

दिवाली में स्वदेशी खरीदना कोई  निराधार देशभक्ति का पाठ नहीं है|  हमें अवश्य सोचना चाहिए की क्या सात समुद्र पार से आए दीये और पुष्प, दीपावली के मर्म को समझ पायेंगे? पर अगर भावनाओं को दर-किनार भी कर दें, तो यह बात ध्यान देने योग्य है कि स्वदेशी खरीदने से, स्थानीय अर्थव्यवस्था एवं हमारे लोकल कुम्हारों, हस्त शिल्पियों  एवं किसानों को प्रोत्साहन मिलता है। केवल इतना ही नहीं, याद रखें कि हर बार जब हम लोकल वस्तु खरीदते हैं, तो हम पर्यावरण को बचाने में भी एक महत्वपूर्ण योगदान करते हैं| आमतौर पर स्थानीय उत्पादों का कार्बन फुटप्रिंट (पदचिह्न), महासागरों को पार कर आयी  वस्तुओं के कार्बन फुटप्रिंट  से बहुत  कम होता  है।

ज्ञान बहुत हो गया, आइये लोकल खरीदने के कुछ ठोस एवं आसान उपायों के विषयों में चर्चा करें|  आप इस सूची में अपने  सुझाव भी जोड़ें|

  • दीपावली में अपने घर, ऑफिस एवं दुकान आदि को, प्रकाशमय करने हेतु मिट्टी के दीयों का ही प्रयोग करें| मिट्टी के दीये  संसार को दैदीप्यमान करके पुनः मिट्टी में मिल जाते हैं और पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करते| प्रेम से ढले हुए दीपक जब आप खरीदते हैं, तो  कुम्हारों के घर भी रोशन होते हैं| आजकल तो बाज़ार में मिट्टी के सजे-धजे दीपक भी मिलते हैं| और हाँ, पिछले कुछ वर्षों से तो गोबर के भी दीपक आसानी से उपलब्ध हो गए हैं|
  • यदि आप माता लक्ष्मी एवं गणेशजी की नवीन प्रतिमाओं को हर वर्ष पूजते हैं, तो अपने पड़ोस के कुम्हार द्वारा निर्मित मिट्टी की प्रतिमा ही चुनें|  हाथ से तराशी हुई, मिट्टी की मूर्ति में तो स्वयं भगवान भी जीवंत हो जाते हैं|  विदेश में बनी हुई या मशीनों में ढली मूर्ति में वह बात कहाँ?
  • दीपावली के पावन पर्व पर हर परिवार अपने घर को सजाने में कोई कसर नहीं छोड़ता| तोरण, रंग-बिरंगी कंदील एवं अनेकानेक अलकरणों से दीपावली की रात और भी जगमगाने लगती है| साधारणतः या तो लोग यह सजावटी वस्तुयें स्वयं बनाते थे या फिर इस देश के चप्पे – चप्पे में रहने वाले कुशल कारीगरों से खरीदते थे| उस दौर को वापस लाइये और प्लास्टिक से निर्मित सजावट को अलविदा कहिये|

More: Diwali wishes in Sanskrit with meanings in Hindi and English.

  • भारतीय त्योहारों में पुष्पों एवं पत्रों को एक विशेष स्थान प्राप्त है और दिवाली का तो पुष्पों से गहरा नाता है| आजकल हम लोगों का विदेशी एवं अकृत्रिम पुष्पों के प्रति रुझान कुछ बढ़ गया है और हम अपने घर की फोटो Instagram में डालने के लिए पश्चिमी घरों को आदर्श के रूप में देखते हैं| इस दीपावली, अपने घर को गेंदे, गुलाब, राजनीगंधा, आम और अशोक के पत्तों, इत्यादि लोकल फूल-पत्तियों से सजाइये| उन्हीं में दीपावली की खुशबू हैं| इस दिवाली Instagram में कुछ नया दिखाइये |
  • दीपावली के अवसर पर आमतौर पर लोग नये वस्त्र-आभूषण खरीदते हैं| आपसे विनती  है कि इस दीपावली अपने वस्त्र भारत के अनेकानेक हथकरघा  कारीगरों के कुशल हाथों द्वारा प्रेम से बुने कपड़ों से ही बनवाएं| Handloom या हथकरघा हमारे देश की प्राचीन धरोहर है एवं लाखों परिवारों के पालन पोषण का एकमात्र ज़रिया भी है|

हमें आशा है की आप इस विषय में अवश्य सोचेंगे और इस दीपावली अपने स्थानीय बाज़ार को भी अनुग्रहित करेंगे| इस दीपावली, लोकल और स्वदेशी ख़रीदारी करें और यथा संभव पर्यावरण को नुकसान न पहुँचाने वाली ख़रीदारी करें|

शुभ दीपावली!

You can read this article and watch this video in English also.

This Diwali Buy Local

 

Garima Chaudhry Hiranya Citi Tata Topper

Garima Chaudhry

Garima is a corporate leader and the Founder and Editor of Cultural Samvaad. Passionate about understanding India’s ancient 'संस्कृति 'or culture, she believes that using a unique idiom which is native to our land and her ethos, is the key to bringing equitable growth and sustainable change in India.

Deeply interested in Indic Studies, Garima has been a visiting faculty member for over a decade at the Mumbai University and K J Somaiya Institute of Dharma Studies among others. She has taught diploma, graduate and post graduate courses in Development of Religious Thought in India, Hindu Thought and Purakatha, Buddhism and Comparative Mythology among others. She also conducts immersive workshops for various cohorts on appreciating India and her past, her dharmic traditions and her enduring values, stories and symbols.

In her corporate avataar, Garima runs Hiranya Growth Partners LLP, a boutique consulting and content firm based in Mumbai. She is a business leader with over 25 years of experience across Financial Services, Digital Payments and eCommerce, Education and Media at Network18 (Capital18 and Topperlearning), Citibank and TAS (the Tata Group). Garima is an MBA from XLRI, Jamshedpur and an Economics and Statistics Graduate.

Add comment