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श्री गणेशजी महाराज या गणपति को सभी देवताओं में प्रथम पूज्य होने का विशेष सम्मान प्राप्त है। उनके असामान्य परन्तु लुभावने रूप (हाथी का मुख और मानव का शरीर) ने उन्हें अपने भक्तों का प्रिय बनाया है| इस रूप ने कलाकारों और मूर्तिकारों को भी अपने प्रिय भगवान को अनेकानेक आकृतियाँ देने को प्रेरित किया है । विनायक का यह मनमोहन रूप भक्तों को सन्देश देता है की वे उसके परे जायें जो उन्हें उन्हें सामान्यतः दिखता है| भक्तों से नम्र निवेदन है की वे गणाध्यक्ष के लक्षणों में छुपे गूढ़ अर्थ पर चिंतन कर, उसे आत्मसाध करें।
विशाल मस्तिष्क – ऊँचा और श्रेष्ठ सोचो
छोटी-छोटी आँखें – ध्यान लगाओ, गहन चिंतन करो
सुडौल सूण्ड – स्थिति के अनुकूल आचरण करो
बड़े-बड़े कान – ध्यान से सुनो
एक दाँत – त्याग से मत डरो
परशु – मोह रूपी बंधनों से मुक्त हो
पाश – अपने उन्नत लक्ष्यों की ओर आकर्षित हो
हाथ में मोदक – मीठे फलों के लिये अच्छे कर्म करो
मूषक महाराज – अपनी लालसाओं के अधीन मत हो
अभय मुद्रा – गणेशजी का हाथ सदैव भक्त के सर पर रहता है
बृहत्काय पेट – सबकी अच्छाइयों को आत्मसाध करो
ॐ गं गणपतये नमः|
यहाँ यह कहना अनिवार्य है कि इस वीडियो में वर्णित कुछ लक्षणों का अर्थ शास्त्रीय परंपरा के अनुसार नहीं है अपितु वर्तमान काल में प्रचलित जनसाधारण की सोच का प्रतीक है। यह वाक्य गणेश चतुर्थी के पर्व के लिए निर्मित गणपति की अनेक प्रतिमाओं के लिए भी सत्य है।
Heartiest congratulations to the one who conceived ‘Cultural Samvad’ and all those
who have contributed to it.
It’s high time we reintroduce our kids to our rich heritage, culture and traditions to nullify the increasing effect of western world on our young delible minds
Warm Regards